हर शाम मुझे, तेरे पैग़ाम का इंतजार रहा•
तेरा पैग़ाम ना आया मगर••
मैं फिर भी तलबग़ार रहा•
आँखों को, तेरे आने का यकीं था शायद••
इसीलिए! कोई भी मेरी आँखों में समाया ना रहा•
जब भी उठे मेरे हाथ, दुआओं के लिए••
तेरी ही ख़्वाहिश का, ये दिल तलबग़ार रहा•
क़िश्ती वो मेरी, साहिल पे पहुँचती शायद••
मुझको तिनके के, सहारे का इन्तेज़ार रहा••
थमना नहीं था, उस दरिया के तूफ़ान को शायद•
फिर भी मुझे, मौसम के बदलने का इन्तेज़ार रहा•••
हर शाम मुझे, तेरे पैग़ाम का इंतजार रहा!!!
तेरा पैग़ाम ना आया मगर••
मैं फिर भी तलबग़ार रहा•
आँखों को, तेरे आने का यकीं था शायद••
इसीलिए! कोई भी मेरी आँखों में समाया ना रहा•
जब भी उठे मेरे हाथ, दुआओं के लिए••
तेरी ही ख़्वाहिश का, ये दिल तलबग़ार रहा•
क़िश्ती वो मेरी, साहिल पे पहुँचती शायद••
मुझको तिनके के, सहारे का इन्तेज़ार रहा••
थमना नहीं था, उस दरिया के तूफ़ान को शायद•
फिर भी मुझे, मौसम के बदलने का इन्तेज़ार रहा•••
हर शाम मुझे, तेरे पैग़ाम का इंतजार रहा!!!
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