मेरा बचपन मुझे आज भी बहुत याद आता है!
कभी लड़ना, कभी मान जाना!!
वो हर त्योहार से पहले, खिलौनों की सारिणी बनाना!
वो जंगल में जाकर आम, अमरूद का खाना!!
मौहल्ले मे शोर मचाना, और फिर डर कर भाग जाना!
वो शरारतों पर भी, मां का प्यार मिल जाना!!
वो कक्षा में अपनी, कागज़ का जहाज़ बनाकर उड़ाना!
मेरा बचपन मुझे आज भी बहुत याद आता है!!
वो स्कूल ना जाने के, नए-नए बहाने बनाना!
स्कूल में जाकर बार-बार धूप देख, छुट्टी का अनुमान लगाना!!
खेलते-खेलते शाम हो जाने पर, अपनी जेब में घास की जड़ रख लाना!
वो क्रिकेट का मैच खेलने के लिए, स्कूल ना जाना!!
मेरा बचपन मुझे आज भी बहुत याद आता है!!!
वो शाम होते ही, दोस्तों के साथ खेलने जाना!
वो खेल-खेल में मेरा डॉक्टर, पुलिस और चोर बन जाना!!
वो त्यौहार पर सबसे पैसे मिल जाना!
वो ईदगाह में जाकर, चाट-पकौड़ी का खाना!!
वो सुबह से शाम का, क्रिकेट खेलते-खेलते हो जाना!
वो बेपरवाह सा मेरा बचपन, मुझे आज भी बहुत याद आता है!!
वो बारिश में नहाना, और कागज़ की कश्ती चलाना!
वो स्कूल की छुट्टी हो जाने पर, शोर मचाना!!
वो नादान सा मेरा बचपन, मुझे बहुत याद आता है!!!
कभी लड़ना, कभी मान जाना!!
वो हर त्योहार से पहले, खिलौनों की सारिणी बनाना!
वो जंगल में जाकर आम, अमरूद का खाना!!
मौहल्ले मे शोर मचाना, और फिर डर कर भाग जाना!
वो शरारतों पर भी, मां का प्यार मिल जाना!!
वो कक्षा में अपनी, कागज़ का जहाज़ बनाकर उड़ाना!
मेरा बचपन मुझे आज भी बहुत याद आता है!!
वो स्कूल ना जाने के, नए-नए बहाने बनाना!
स्कूल में जाकर बार-बार धूप देख, छुट्टी का अनुमान लगाना!!
खेलते-खेलते शाम हो जाने पर, अपनी जेब में घास की जड़ रख लाना!
वो क्रिकेट का मैच खेलने के लिए, स्कूल ना जाना!!
मेरा बचपन मुझे आज भी बहुत याद आता है!!!
वो शाम होते ही, दोस्तों के साथ खेलने जाना!
वो खेल-खेल में मेरा डॉक्टर, पुलिस और चोर बन जाना!!
वो त्यौहार पर सबसे पैसे मिल जाना!
वो ईदगाह में जाकर, चाट-पकौड़ी का खाना!!
वो सुबह से शाम का, क्रिकेट खेलते-खेलते हो जाना!
वो बेपरवाह सा मेरा बचपन, मुझे आज भी बहुत याद आता है!!
वो बारिश में नहाना, और कागज़ की कश्ती चलाना!
वो स्कूल की छुट्टी हो जाने पर, शोर मचाना!!
वो नादान सा मेरा बचपन, मुझे बहुत याद आता है!!!
What's your feeling freinds about this Poetry...
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