3THVTX3KFLFG3R SB POETRY: Sad Ghazal in Hindi

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Tuesday, April 28, 2020

Sad Ghazal in Hindi

काश! कि हम मजबूर ना होते*
ज़िन्दगी में फिर कभी, तुमसे दूर ना होते**
बना लेते घर, तुम्हारे दिल में अपना*
काश! कि तुम हमें एक बार, अपना कह गए होते**
तुझसे दूर होना, मुझे बड़ी तक़लीफ़ देता है*
ऐसे छलकती हैं आँखे मेरी, जैसे कोई बादल बरसता है**
इतनी भी क्या मजबूरी थी, जो तेरा दिल हुआ ख़ाली*
अपनी यादें तो ले जाती, मुझे अब ये भी नहीं चाहतीं**
कभी जो मिलेगी फ़ुरसत तुझे,  तो सोचना*
क्या कमी थी मेरी मुहब्बत में, जो तुझे दौलत हुई प्यारी**




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