तुझसे दूर जाना, मुमक़िन-सा नही था!
तुझे पास बुलाना भी, बहुत मुश्किल था!!
इसी कश्मकश में, कट रही थी ज़िन्दगी!
क्या तुझको, मुझे भुला पाना मुमकिन था!!
सोचता हूँ कि शायद, तेरा भी दिल पिघलेगा!
तू माँगेगी मुझे रब से, और वो तुझे अता करेगा!!
ना जाने कहाँ चली गई तेरी वो क़शिश, मुझे पाने की!
तू बादल गई है, या तुझको तड़प ना रही मुझे पाने की!!
फैंसला जो भी करेगा मेरा रब, वो बरहक़ होगा!
अगर तू मेरी हुई तो, तुझ पर मेरा हक़ होगा!!
तुझे पास बुलाना भी, बहुत मुश्किल था!!
इसी कश्मकश में, कट रही थी ज़िन्दगी!
क्या तुझको, मुझे भुला पाना मुमकिन था!!
सोचता हूँ कि शायद, तेरा भी दिल पिघलेगा!
तू माँगेगी मुझे रब से, और वो तुझे अता करेगा!!
ना जाने कहाँ चली गई तेरी वो क़शिश, मुझे पाने की!
तू बादल गई है, या तुझको तड़प ना रही मुझे पाने की!!
फैंसला जो भी करेगा मेरा रब, वो बरहक़ होगा!
अगर तू मेरी हुई तो, तुझ पर मेरा हक़ होगा!!
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