सोच रहा हूँ कि, कैसे समझाऊँ तुम्हे!
हाल अपने दिल का, कैसे बताऊँ तुम्हे!!
अपनी पाक मुहब्बत का यक़ीन, कैसे दिलाऊँ तुम्हे!
जिस क़दर मैंने तुम्हे चाहा है, कैसे बताऊँ तुम्हे!!
कोई तरक़ीब तू लगा, कोई लहज़ा मैं सोचता हूँ!
बात आँखों से करते हैं, कि मैं आँखों से कहता हूँ!!
कुछ तो हूँ मैं मजबूर, कुछ तू भी तो नाराज़ है!
निकालें मिलके कोई रास्ता, चलो हम अपने मिलने का!!
कुछ तू भी चले मेरी तरफ, कुछ मैं भी कदम बढ़ाता हूँ!
कि मिल जाएँ किसी मोड़ पर, यूँ ही हम अचानक से!!!
हाल अपने दिल का, कैसे बताऊँ तुम्हे!!
अपनी पाक मुहब्बत का यक़ीन, कैसे दिलाऊँ तुम्हे!
जिस क़दर मैंने तुम्हे चाहा है, कैसे बताऊँ तुम्हे!!
कोई तरक़ीब तू लगा, कोई लहज़ा मैं सोचता हूँ!
बात आँखों से करते हैं, कि मैं आँखों से कहता हूँ!!
कुछ तो हूँ मैं मजबूर, कुछ तू भी तो नाराज़ है!
निकालें मिलके कोई रास्ता, चलो हम अपने मिलने का!!
कुछ तू भी चले मेरी तरफ, कुछ मैं भी कदम बढ़ाता हूँ!
कि मिल जाएँ किसी मोड़ पर, यूँ ही हम अचानक से!!!
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