3THVTX3KFLFG3R SB POETRY: Sahi Raah Poetry in Hindi

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Saturday, May 30, 2020

Sahi Raah Poetry in Hindi

मुश्किल में हूँ बहुत, मुझे सही राह चाहिए*
ऐ! रब मुझे तेरी मदद, बारहा चाहिए**
खुशियों की जो घड़ी थी, कहीं गुम हो गई मगर*
उसे ढूँढ़ने में मुझे, तेरी रज़ा चाहिए**
तू हो जाये ख़ुश अगर मुझसे, तो क्या बात है*
मेरी ये ज़िन्दगी, तो फिर बेमिसाल है**
तू! मुश्किल कुशा है, तू ही हमारा निगेहबान है*
हर ग़म से है वो दूर, जिसके तू साथ है**
सुनले मेरी दुआ, के तू बड़ा रहीम है*
कि ये पूरा आलम, तेरी रज़ा के बिना बेकार है***

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