जब-जब, वो हँसी शाम आई!
जब-जब, वो मौसमी घटा छाई!!
मुझको तेरी याद, बेइन्तेहा आई!
मैंने जब भी दिल के किसी कोने में, झांक-कर देखा!!
हर एक जगह पे मुझे, तू ही तू नज़र आई!
बदल जाता मैं भी, मौसम की तरह एक दिन लेकिन!!
इन आँखों में मगर हर बार, तेरी ही तस्वीर उभर आई!!
जब भी मेरे फ़ोन की, घंटी बजी अचानक से!
दिल में बस मेरे, तेरे ही होने का एहसास करा गई!!
तुम क्या जानो, मैं तुम्हे किस क़दर महसूस करता हूँ!
जैसे किसी प्यासे को, दरिया की तलाश हो!!
जब-जब, वो मौसमी घटा छाई!!
मुझको तेरी याद, बेइन्तेहा आई!
मैंने जब भी दिल के किसी कोने में, झांक-कर देखा!!
हर एक जगह पे मुझे, तू ही तू नज़र आई!
बदल जाता मैं भी, मौसम की तरह एक दिन लेकिन!!
इन आँखों में मगर हर बार, तेरी ही तस्वीर उभर आई!!
जब भी मेरे फ़ोन की, घंटी बजी अचानक से!
दिल में बस मेरे, तेरे ही होने का एहसास करा गई!!
तुम क्या जानो, मैं तुम्हे किस क़दर महसूस करता हूँ!
जैसे किसी प्यासे को, दरिया की तलाश हो!!
Tell me guys what's up in your life.. How are you feeling after read My poetry tell me something please..
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