सरसरी-सी हवाओं का मौसम*
छू रहा है दिल को ये बहारों का मौसम**
हर पेड़ की डाली पर फल और फूल हैं *
हरे-हरे पत्तों की ख़ुशबू मन को मोहित करती है**
पक्षियों की चहचहाट कानो में रस भरती है*
वो पके हुए फलों का टूटकर गिरना**
हमारे मुँह को रस से भर देता है*
कोयल का सुरीली आवाज़ में गाना दिल को ठंडक देता है**
चारों तरफ हरियाली देखकर आँखों को सुकून मिलता है*
पौधों का फूलों से भर जाना हमें ख़ुश कर देता है**
छू रहा है दिल को ये बहारों का मौसम**
हर पेड़ की डाली पर फल और फूल हैं *
हरे-हरे पत्तों की ख़ुशबू मन को मोहित करती है**
पक्षियों की चहचहाट कानो में रस भरती है*
वो पके हुए फलों का टूटकर गिरना**
हमारे मुँह को रस से भर देता है*
कोयल का सुरीली आवाज़ में गाना दिल को ठंडक देता है**
चारों तरफ हरियाली देखकर आँखों को सुकून मिलता है*
पौधों का फूलों से भर जाना हमें ख़ुश कर देता है**
This is my new version of poetry..
ReplyDeleteWhat do you think about this..