ज़िन्दगी ने हमें, कहाँ-कहाँ घुमा दिया* कभी साबित, कभी आशिक़, कभी शायर बना दिया** बड़ी मुश्किल से संभाला था, मैंने ख़ुद को बस अभी* तेरी बेवफाई ने मुझे, फिर से नया इन्सां बना दिया** अब तो सोचता हूँ, कि यक़ीं करूँ तो करूँ किसपे* तूने भी जब हमें, फ़रेबों का सिला दिया** बहुत मख़सूस था, अपनी मुहब्बत का क़िस्सा* तूने मगर इसे भी, बहुत मशहूर बना दिया** अपने ख़ालीपन को, तुझसे भरने का इरादा था* तूने मगर इस ख़्वाब को, आईना दिखा दिया**
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