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Showing posts from June, 2020

Zindagi Shayari

ज़िन्दगी ने हमें, कहाँ-कहाँ घुमा दिया* कभी साबित, कभी आशिक़, कभी शायर बना दिया** बड़ी मुश्किल से संभाला था, मैंने ख़ुद को बस अभी* तेरी बेवफाई ने मुझे, फिर से नया इन्सां बना दिया** अब तो सोचता हूँ, कि यक़ीं करूँ तो करूँ किसपे* तूने भी जब हमें, फ़रेबों का सिला दिया** बहुत मख़सूस था, अपनी मुहब्बत का क़िस्सा* तूने मगर इसे भी, बहुत मशहूर बना दिया** अपने ख़ालीपन को, तुझसे भरने का इरादा था* तूने मगर इस ख़्वाब को, आईना दिखा दिया**

Shukriya Shayari

कितना पुरसुकून था, मैं! तुम्हे अपनाने को लेकर• मगर वक़्त ने मुझे, ये किस मोड़ पर ला खड़ा किया•• एक अरसा गुज़रने के बाद, हमें तेरे फ़रेब का इल्म हुआ• बेहतर तो ये था, कि हम पहले जान लेते तेरा फ़रेब•• फिर हम, किसी बेवफा की मुहब्बत में गिरफ्तार ना होते• कितना करम हुआ है, मेरे रब का मुझ पर•• ऐन वक़्त पर उसने मुझसे, तेरा राज़ फ़ाश कर दिया•  शुक्रिया तेरा ऐ! रब, मैं अदा कर नही सकता•• अब तो बस इतनी सी इल्तिजा है मेरी, तुझसे ऐ ख़ुदा• अता करना मेरी ज़िन्दगी में उसे, जो फ़रेबों से पाक़ हो•• 

Bewafai Shayari

शाम होते ही, सूरज को डूबते देखा है* मैंने! बहुत क़रीब के लोगों में फ़रेब देखा है** तुझपे शक़ तो नही था मगर, अब यक़ीन हुआ है* तेरी बेवफाई का चर्चा, जब सरेआम हुआ है** मुहब्बत का मतलब क्या है तेरे नज़दीक, मुझे अब तक समझ नही आया* क्या जिस्म का हासिल ही, तेरे नज़दीक मुहब्बत है** क्यूँ रखा अपने फ़रेबों से लाइल्म, मेरी मासूम मुहब्बत को* जब ना था पसंद तरीक़ा, मेरी मुहब्बत का तुझे** जिस्म का क्या है, जिस्म तो फ़ानी है मगर* रूह का रिश्ता, तो अनमोल होता है** कितने दिलों को मैंने, तेरी मुहब्बत में रुसवा किया है* तूने फिर भी मेरे दिल को, बड़ी शिद्दत से तोड़ा है** जा अब तुझे इजाज़त है, जहाँ चाहे वहाँ जा* दिल मेरा कभी तुझसे, अब फ़ैज़याब ना होगा*** 

Badalna Shayari

बदल गए हो तुम शायद, या हम ही तुमको भूल बैठे हैं• ये कैसा वक़्त आया है, कि तुम भी दूर बैठे हो और हम भी दूर बैठे हैं•• फ़ाँसला कब ये बढ़ गया, हमें मालूम ना हुआ• तुझसे जो दूर मैं हुआ, सितम ये मुझपे क्या हुआ•• अभी उम्मीद बाक़ी है, मगर कोई राह नही दिखती•  तेरे होने ना होने की, मुझे अब फ़िक्र नही होती•• मगर दिल भर के आता है, जब तेरे जाने का सुनता हूँ• ख़ुदा से फिर तुझे पाने की, आरज़ू मैं करता हूँ•••

Sad Heart Ghazal

तुम जा रही हो मुझे छोड़कर, तो चलो कोई बात नही* इरादा कर लिया है गर, तो चलो कोई बात नही** समझने समझाने का वक़्त, अब नही रहा शायद* जो कहना था तुमसे, सब कह दिया है अब** तुम मुझको ग़लत समझ रही हो, तो चलो कोई बात नही* एहसास शायद हो जाए तुमको मगर, चलो अभी तो कोई बात नही** जो मौसम बदला है अब, मुझे शुबा ना था बदल जाने का* शुक्रिया तुम्हारा, मुझे एक नया सबक़ सिखाने का** राहें बदल रही हो, तो चलो कोई बात नही* मगर बिना वजह रास्ते का बदलना, कोई अच्छी बात नही**