Shukriya Shayari

कितना पुरसुकून था, मैं! तुम्हे अपनाने को लेकर•
मगर वक़्त ने मुझे, ये किस मोड़ पर ला खड़ा किया••
एक अरसा गुज़रने के बाद, हमें तेरे फ़रेब का इल्म हुआ•
बेहतर तो ये था, कि हम पहले जान लेते तेरा फ़रेब••
फिर हम, किसी बेवफा की मुहब्बत में गिरफ्तार ना होते•
कितना करम हुआ है, मेरे रब का मुझ पर••
ऐन वक़्त पर उसने मुझसे, तेरा राज़ फ़ाश कर दिया• 
शुक्रिया तेरा ऐ! रब, मैं अदा कर नही सकता••
अब तो बस इतनी सी इल्तिजा है मेरी, तुझसे ऐ ख़ुदा•
अता करना मेरी ज़िन्दगी में उसे, जो फ़रेबों से पाक़ हो•• 

Comments

Popular posts from this blog

Yaadon Par Kavitayein in Hindi

Kisaan Aandolan Par Kavita in Hindi

Relationship understanding thought in Hindi