3THVTX3KFLFG3R SB POETRY: Apne Poetry

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Thursday, July 09, 2020

Apne Poetry

कोई नही है अपना, इस फ़ानी जहान में*
सब ढूँढ रहे हैं ख़ज़ाना, यहाँ ख़ाली मकान में**
ख़ुदग़र्ज़ियों में मत उलझ, तू ऐ! इंसान बस यहाँ*
ऐसे भी हैं बहुत, जिन्हे सिर्फ़ तेरा इंतेज़ार है यहाँ**
कभी बादल का बरसना, तो कभी तेज़ धूप है*
ज़िन्दगी भी इसी तरह से, चलने का नाम है**
जो पल हैं तेरे पास, तू ज़िन्दादिल से जी उन्हे*
हर पल तेरी ज़िन्दगी का, यहाँ फ़ैज़याब है**

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