3THVTX3KFLFG3R SB POETRY: Waqt Poetry

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Monday, July 06, 2020

Waqt Poetry

वक़्त ने गर तुम्हे गिराया है, तो उठाएगा भी वही•
फ़िक्र ना कर तू किसी की, वक़्त तेरा भी आयेगा कभी••
वक़्त से ना कोई बच सका है, ना बच पाएगा कोई•
जो उठा है तकब्बुर से, तो वक़्त उसे गिराएगा भी कभी••
आज मैं! परीशाँ हूँ, तो कल खुशियाँ भी देगा ख़ुदा•
वक़्त दर वक़्त, ख़ुदा सबको बदलता है यहीं••
हँसते को रुला देता है और रोते को हँसा देता है, जब वक़्त बदलता है ख़ुदा•
मत भूल कि इस दुनिया में, कोई रहा,  ना रहेगा••
भलाई कर यहाँ कि भलाई का बदला, तुझे हर वक़्त मिलेगा••• 


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