PaL Poetry

बहुत पानी है समन्दर में, मगर खारा है*
बहुत ख़ूबसूरत है ये दुनिया, मगर फ़ानी है**
जी लो हर एक पल वो ख़ुशी का, जो अता किया है ख़ुदा ने तुमको*
सुबह होते ही मगर, वक़्त की ताबीर बदल जाती है**
शाम को हवाओं में टहलने का मज़ा, ओर ही था*
अब तो हर बात में, तल्ख़ाहट निकल आती है**
ऐ !ख़ुदा तुझसे मैं हर बार, सँभालने की दुआ करता हूँ*
क्यूँकि मुझसे हर बात ज़माने की, भुलाई नहीं जाती**

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