तुमको पाने की तमन्ना, तो बहुत की थी हमने•
तुमने हर बार मेरे दिल को, फिर भी रुसवा किया मगर••
अब यही सवाल, मेरे दिल में बार-बार आता है•
क्या तुझे भी एहसास है, मुझसे बिछड़ जाने का••
शिकायत की है मैंने तेरी, फ़क़त अपने ख़ुदा से•
ज़माने में तुझे रुस्वा, मैं करना नहीं चाहता••
उम्मीद यही है कि मिलेगी, मुझको समझने वाली एक दिन•
फिर तेरे जाने पर मुझको, कोई शिक़वा ना रहेगा••
तमाम फैसले, तो मुक़द्दर बनाने वाले ने किये हैं•
मगर सही, ग़लत को समझना, तो हमारे हाथ है••
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