दिल को मेरे अब टूटने की, आदत-सी हो गई शायद*
पहले वो, ओर अब तुम भी चली गई**
क़याम कौन करेगा, ये समझना बहुत दुश्वार है मगर*
जो ठहर गया हमारे दिल में तो फिर, वो तमाम उम्र रहेगा**
जो हो सकेगा हमसे, उसमें इज़ाफ़े की कोशिश करेंगे*
तुम्हारी ख़ातिर हम, हर ख़ुशी की फ़रियाद करेंगे**
इल्तिजा इतनी रहेगी, फ़क़त तुमसे हमारी*
ना करना कोशिश, हमें बदलने की तुम कभी**
सुकून की बात पे हम सदा, तुम्हारे साथ रहेंगे*
ज़रा ग़लत हुआ, तो हम ही तुम्हारे ख़िलाफ़ रहेंगे**
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link into the box.