3THVTX3KFLFG3R SB POETRY: Meri Soch Poetry

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Saturday, September 05, 2020

Meri Soch Poetry

दिल को मेरे अब टूटने की, आदत-सी हो गई शायद*

पहले वो, ओर अब तुम भी चली गई**

क़याम कौन करेगा, ये समझना बहुत दुश्वार है मगर*

जो ठहर गया हमारे दिल में तो फिर, वो तमाम उम्र रहेगा**

जो हो सकेगा हमसे, उसमें इज़ाफ़े की कोशिश करेंगे*

तुम्हारी ख़ातिर हम, हर ख़ुशी की फ़रियाद करेंगे**

इल्तिजा इतनी रहेगी, फ़क़त तुमसे हमारी*

ना करना कोशिश, हमें बदलने की तुम कभी**

सुकून की बात पे हम सदा, तुम्हारे साथ रहेंगे*

ज़रा ग़लत हुआ, तो हम ही तुम्हारे ख़िलाफ़ रहेंगे**

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