Sad Depressing Poem, Kyu Lag Raha Hai Mujhe

क्यूँ लग रहा है मुझे, कि कोई साथ नही है मेरे*

जिसे भी अपना समझा, वही पराया हो गया मुझसे**

क्यूँ मेरी मुहब्बत को नही, समझ पाता है कोई*

क्यूँ मेरी एक भी ग़लती को, ना बर्दाश्त करता है कोई**


मुझे अब ख़ुदी के लिए, जीना है बस यहाँ*

उम्मीद सिर्फ़ अब मुझे, अपने ख़ुदा से करनी है**

वही क़ादिर है, मुझे इन अँधेरों से निकालने पर*

वही रोशनी को, मेरी ज़िन्दगी में लायेगा**


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