Safar Poetry
अभी तेरी सोच से निकला हूँ, सोचता हूँ अब किधर जाऊँ• ख़ाली पन्ने को छोड़ दूँ, या फिर कुछ लिख जाऊँ•• परीशाँ बहुत हूँ, मैं अपनों के रवय्ये से• सोचता हूँ अपने दिल को नरम करूँ, या फिर बदल जाऊँ•• बहुत दूर तक पैदल चला हूँ, मैं मंज़िल की तलाश में• अभी मंज़िल नज़र नही आई, आगे चलूँ, या फिर थोड़ा ठहर जाऊँ•• बहुत शदीद गर्मी है, यहाँ ज़माने की जलन में• बरगद का पेड़ दिख रहा है, आगे चलूँ, या फिर कुछ देर वहाँ बैठ जाऊँ•••