Sahi Raah Poetry in Hindi
मुश्किल में हूँ बहुत, मुझे सही राह चाहिए* ऐ! रब मुझे तेरी मदद, बारहा चाहिए** खुशियों की जो घड़ी थी, कहीं गुम हो गई मगर* उसे ढूँढ़ने में मुझे, तेरी रज़ा चाहिए** तू हो जाये ख़ुश अगर मुझसे, तो क्या बात है* मेरी ये ज़िन्दगी, तो फिर बेमिसाल है** तू! मुश्किल कुशा है, तू ही हमारा निगेहबान है* हर ग़म से है वो दूर, जिसके तू साथ है** सुनले मेरी दुआ, के तू बड़ा रहीम है* कि ये पूरा आलम, तेरी रज़ा के बिना बेकार है***